यह सिर्फ़ एक ऐप नहीं, वरन आपके हाथों में एक पूर्ण प्राचीन संसार है ताकि हमारे ऋषियों, मुनियों और पूर्वजों द्वारा की हुए साधना के प्रभाव का फल आप भी उठा सकें।
यज्ञानां जपयज्ञोऽस्मि
यज्ञों में श्रेष्ठतम यज्ञ, मंत्र जप मैं स्वयं हूँ।
यज्ञदानतप:कर्म न त्याज्यं कार्यमेव तत् |
यज्ञ, तप और दान का त्याग कभी नहीं किया जाता।
सुत तप तें दुर्लभ कछु नाहीं
साधना से कुछ भी अप्राप्य नहीं।
हिमालय की सघन वादियों में स्थित एक रहस्यमयी क्षेत्र है सिद्धाश्रम। हमारे महान ऋषियों ने यहीं पर ध्यान और वैदिक अनुष्ठानों को सम्पन्न किया था। पौराणिक सिद्ध, जैसे वशिष्ठ, पराशर, वेद व्यास और अन्य कई, आज भी सूक्ष्म शरीर में यहाँ उपस्थित हैं। इस पावन क्षेत्र में महादेव, महा विष्णु, माँ जगदंबा और देवर्षि नारद जैसी कालातीत विभूतियों ने विशिष्ट वैदिक मंत्रों को जागृत किया। साधना ऐप के माध्यम से उस पुरातन संस्कृति की अनुभूति करें।
मेरे जीवन की तीस वर्ष की साधना के आधार पर, आज के आधुनिक युग को ध्यान में रखते हुए, मैंने आपके लिए साधना ऐप में एक पूरे नए संसार का निर्माण किया है। वही सिद्धाश्रम आपके लिए पुनः बना दिया है जहाँ पर आज से हज़ारों वर्ष पहले सनातन धर्म के ऋषि-मुनि तपस्या करते थे।
अगर आप पुनः उस ऐश्वर्य और वैदिक प्रताप को जीना चाहतें हैं, जिसमें हमारे पूर्वज रहे थे, तो साधना वह अवसर प्रदान करने के लिए प्रस्तुत है।
यह सब मैंने मात्र एक ही उद्देश्य से किया है और वह है सनातन धर्म की सेवा और हमारी संस्कृति का पुनर्जागरण। साधना का यह परोक्ष संसार, धर्म और आपकी सेवा में मेरी एक विनम्र भेंट है।
~ ॐ स्वामी
ओम् स्वामी, ग्यारह वर्ष के किशोर थे जब उन्होंने ने वैदिक मंत्रोचारण के ज्ञान को गुरु-शिष्य परंपरा से प्राप्त किया। मंत्रो की लोकातीत और सुमधुर ध्वनि से वे इस प्रकार सम्मोहित हुए, की मंत्र साधना ही उनकी आध्यात्मिक यात्रा का आधार बन गयी। आने वाले तीन दशकों में उन्होंने अनेकाएक़ साधानाओं और अनुष्ठानों को सम्पन्न कर मंत्रो की अनंत ऊर्जा को जागृत किया।
ओम् स्वामी की लेखनी और प्रवचनों ने विश्वभर में असंख्य लोगों के जीवन को परिवर्तित किया है। ध्यान, सुस्वास्थ्य, आध्यात्म तथा अन्य कयी विषयों पर लिखी गयीं वे पंद्रह लोकप्रिय पुस्तकों के रचनाकार हैं। इनमें से प्रमुख उल्लेखनीय कृतियाँ कुंडलिनी (Kundalini), मंत्रो का प्राचीन विज्ञान (The Ancient Science of Mantras), असंख्य विचार (A Million Thoughts), और सत्य कहूँ तो (If Truth Be Told) हैं।
रूढि़वादिता से परे, वे ऐसे संत हैं जो अपनी निजी आवश्यकताओं के लिए किसी भी प्रकार का दान या उपहार नहीं स्वीकार करते। लेखन और उद्यमिता ही उनके जीवनयापन का स्रोत है। किसी भी प्रकार के समाजिक संवाद और सोशल मीडिया से दूर, वर्ष का अधिकतम समय, ओम् स्वामी, एकांत में व्यतीत करना पसंद करतें हैं। “कृपया ऐसी धारणा मत बना लेना कि यदि मैं साधु हो गया तो मतलब किसी पेड़ के नीचे फ़क़ीरों की भाँति रहता हूँ,” वो कहते हैं, “देवी माँ की कृपा से मै वैसे ही सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करता हूँ जैसा कि मैंने सदा से किया है।”